हर व्यवधान साधना की परीक्षा है। आवश्यक साधन और क्षमता जुटाकर केवल दृढ निश्चय की योग्यता से ही कामयाबी के शिखर पर पहुंचते है।
माना की हर व्यक्ति की क्षमता , प्रतिभा , मेहनत और लगन सभी सफलता के साधन है। मगर सोचिये की साधनो को तेज गति कौन देता है। निश्चित रूप से कहा जा सकता है की इन साधनो को मजबूत बनाने के लिए दृढ़ निश्चय ही आवश्यक है।
जैसे ईंट , चुने और सीमेंट से बने मकान को पक्का करने के लिए पानी की तराई आवश्यक है वैसे ही हम चाहे दुर्गम घाटियों को पार कर पर्वत पर चढ़े , चाहे समुंद्री तूफानों का सामना कर नाव चलाये या फिर अनेक बाधाओं को पार कर अपनी टीम को जीत दिलाये। पक्का इरादा जरुरी है। एक बार जिस रास्ते पर चलने का निश्चय कर लिया उसे बदलना नहीं चाहिए।
आगे बढ़ो ( Move Ahead ) :
कोलम्बस ने अपने मन में ठान लिया था की मुझे भारत का समुंद्री रास्ता खोजना है। रास्ते में उसके खाने पिने की सारी सामग्री समाप्त हो गयी , तब उसके कुछ सहायक मल्लाहो ने पीछे लौटने के लिए उस पर दबाव डाला। थोड़े थोड़े घंटो में अपने अभावों का रोना रोया मगर कोलम्बस बार उनसे कहता रहा , " आगे बढ़ो - आगे बढ़ो। "
क्या दृढ निश्चय हासिल करने के लिए किसी हाकिम के यहाँ से कोई दवा खरीदी जा सकती है। जिसे पीकर व्यक्ति अपने निर्णय मजबूत कर सकता है। ऐसी दवा की खोजबीन में समय बरबाद न कर के हम अपने निर्णयों में बारबार फेरबदल न करें। अनिश्चय की स्थिति से बचे।
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आत्मविशवास ( Confidence ) :
अपने निर्णयों पर बारबार संदेह करना स्वयं को कमजोर बनाना है। आत्मविश्वास एक ऐसी औषधि है जो हमारे पक्के इरादों को सहारा देती है।
पक्के इरादे के पीछे लगातार दौड़ते रहने से कुछ समय के लिए नीरसता का आना स्वाभाविक है। इस नीरसता को भगाने के लिए अपने कार्यक्रम में मनोरंजन को स्थान दें।
महामना लोकमान्य तिलक ने एक आमसभा में भासड़ देने का दृढ निश्चय कर डाला। अंग्रेज सरकार उसी वक्त शहर में धारा 144 लगा दी यानी लोगो को एक जगह इकठ्ठा होना गैर क़ानूनी घोसित कर दिया। लेकिन लोकमान्य जी अपने दृढ निश्चय पर दृढ रहे। उन्होंने तुरंत एक नाव पर सवार होकर सभा को सम्बोधित करना शुरू कर दिया।
कानून तोड़ने के जुर्म में अंग्रेज सरकार की पुलिस उनको गिरफ़्तार करने आई तो तिलक जी बोले , "आपने मुंबई के जमीं पर धारा 144 लगाईं है ,मैं तो समुन्द्र में बोल रहा हूँ। " अंग्रेज पुलिस अधिकारी उनके इस तर्क को सुनकर उलटे पाँव लौट गए।
आप किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का दृढ निश्चय कर लीजिये। चाहे बात जल्दी उठने का ही हो , आप मन में ठान लो तो जल्दी उठने की दिक्कत छू मंतर हो जाएगी।
स्वयं निर्णय ले ( Decide Yourself ) :
सही अर्थो में जैसे बिना चीनी के मिठाई भी स्वादिष्ट नहीं होती , वैसे ही दृढ निश्चय के आभाव में योग्यता के अन्य गुण होते हुए भी कामयाबी के शिखर पर पहुंचना कठिन होता है।
दोस्तों इस बात से एक घटना याद आती है एक राजा को उसके पडोसी राजा ने युद्ध में परास्त कर दिया। वह राजा भागकर एक जंगल में जा छिपा। निराश और हताश होकर वह जिस वृक्ष के निचे बैठा था उसके सामने एक चिकनी चट्टान थी।
एक चींटी बारबार उस चिकने चट्टान पर चढ़ने का प्रयत्न कर रही थी पर चट्टान के चिकनी होने के कारण बारबार फिसल जाती थी। चींटी गिर जाती पर फिर उठकर अपना अन्न का दाना अपने मुँह में दाब कर चढ़ने लगती थी। यह क्रम बारबार चलता रहा। आखिरकार वह चींटी उस चट्टान पर चढ़ने में सफल हो गयी।
राजा उसके दृढ निश्चय के साथ किये गए प्रयत्नों को देखकर उत्साह से भर उठा। वह वहाँ से लौटकर राज्य में आया। फिर से सेना एकत्रित की और अवसर पाकर पडोसी राज्य पर आक्रमण किया। इस बार उसकी जीत हुयी।
आप भी अपने निर्णय स्वयं ले। उस समय सफलता अथवा असफलता के बारे में अवश्य सोचे। आवश्यक क्षमता और साधन जुटाए। पूरी योजना बनाये। अपनी क्षमता आउट आत्मविश्वास को तौले। आप अपना सोचा स्वयं पूरा कर पाएंगे।

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