आत्म सम्मान का निर्माण और आत्म सम्मान के लिए बाधा | build self respect and Barrier To Self-Respect - Secrets of Success
अभिमान आत्मसम्मान में बाधक है { Pride is A Barrier To Self-Respect }
अभिमान सफलता के वृक्ष को धूल में मिला देता है। अतः अपने आप को व्यवहार कुशल बनाइये।
संजय हमारे मोहल्ले का एक घमंडी लड़का था। वह एक धनी सेठ का एकलौता लड़का था। एकलौता होने के कारण उसे माता -पिता का लाड प्यार कुछ ज्यादा ही मिलता था।
वह एक स्कुल में १० वीं कक्षा में पढ़ता था। और बड़ी शान से अपनी छोटी सी मोटर साइकिल पर स्कुल जाता था वह बड़ा अभिमानी था।
उसे अपने पिता के धन दौलत का बहुत ही घमंड था वह किसी को भी अपने बराबर को नहीं समझता था। इसलिए स्कुल में उसने किसी को भी अपना दोस्त नहीं बनाया था। वह स्कुल जाता था और अपनी मोटर साइकिल स्टैंड पर लगा कर कक्षा में चुप चाप बैठ जाता था।
कोई भी सहपाठी यदि उससे बात करने की कोशिस करता तो वह घमंड से मुँह फेर लेता था। अगर कभी किसी से बात भी करता तो वह बहुत रूखे ढंग से। उसके इस व्यवहार से स्कुल में सब उससे कटे कटे रहने लगे थे। लडको को क्या पड़ी थी जो उसमे घनिष्ठिता बढ़ाते। लडको ने उससे बोलना ही छोड़ दिया। अब वह कक्षा में बिलकुल अकेला पड़ गया था। कक्षा में जो पढाई होती , पढ़ता था , समझ में ना आने पर भी किसी से पूछता नहीं था। परिणाम यह हुआ की उसका समुचित विकास नहीं हो सका। वह परीक्षा में बहुत कम अंको से पास हुआ।
हमारे मित्र की एक छोटी बहन अनीता पढ़ने में बहुत तेज थी। वह अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी। हमेशा प्रथम आने से उसमे भी अभिमान आ गया।
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जब उसकी सहेली उससे किसी बिषय की कॉपी या किताब मांगती तो वह बहाना बना देती थी। वह किसी से बात भी नहीं करना चाहती थी।
कुछ लड़िकियों ने उसे सबक सिखाने के लिए आपस में विचार करके एक योजना बनायीं। सब मिलकर परीक्षा की तयारी करने में जुट गयी और एक दूसरे का सहयोग देने लगी। वे अपने उत्तरो तथा टिप्पड़ियों आदि का मिलान करके बिलकुल नए तरीके से उत्तर तैयार करने लगी। जब परीक्षा हुयी तो इन सबके पर्चे बहुत अच्छे हुए।
जब परीक्षा का परिणाम निकला तो ये लडकिया पहला , दूसरा और तीसरा प्राप्त कर गयी। अनीता चौथे स्थान पर रही। अब तो अनीता की हालत देखने योग्य थी। वह किसी से आँख नहीं मिला पाती थी। अभिमान करने से उसका सिर निचा हो गया था। हम लोग अपने आस पास अक्सर ऐसे लोगो को देखते है , जिन्हे जरा सी सफलता क्या मिल गयी की अपने आप को तीस मारखां समझने लगते है।
सहयोग की आवश्यकता ( Need Cooperation ) :
किशोरावस्था अच्छे गुणों और आदतों को सीखने की उम्र होती है। किसी गलत आदत को पालने की नहीं। जो समझदार होते है वे अच्छी बाते और गुणों को ग्रहण करते है। अभिमान को पास भी भटकने नहीं देते।
किशोरावस्था में बच्चो को अपने मित्रो और सहपाठियों के सहयोग की अत्यंत आवश्श्यकता होती है। एक दूसरे के सहयोग तथा परामर्श से ही वे जीवन के इस प्रांरम्भिक दौर में आगे बढ़ सकते है , अभिमान करने से नहीं।
अभिमान करने से ज्ञान का आदान प्रदान नहीं हो पाता है। क्योकि तब अभिमानी अकेला पड़ जाता है। अभिमान करने वाला कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है। अभिमान बुद्धि को नष्ट कर देता है। किशोरों अभिमान आते ही लोभ , क्रोध , ईर्ष्या आदि दुर्गुण पैदा हो जाते है। ये दुर्गुण इन्हे अपने से दूर करते। है
अभिमान से बचे ( Avoid Pride ) :
विद्यार्थियों में अक्सर पढाई लिखाई को लेकर अभिमान पैदा होता है। जब की विद्यार्थियों को पढाई और ज्ञान का अभिमान कभी नहीं करना चाहिए। क्योकि अभिमान से ज्ञान घटता है बढ़ता नहीं। अभिमानी विद्यार्थी यह समझने लगता है की अब तो उसे सारी बाते , सारे बिषयों की जानकारी प्राप्त हो गयी है अब और सीखने की कोई आवश्यकता नहीं है और भावना उसके पतन का कारण बनती है।
अभिमानी व्यक्ति में आदत होती है की वह दूसरे लोगो में कमजोरी खोजने लगता है और उसे अपने मित्र कमजोरी नजर आने लगती है। दुसरो में दोष और कमी देखना अच्छी बात नहीं है। क्योकि इससे आपस की मित्रता मधुरता समाप्त हो जाती है।
अभिमान और क्रोध ( Pride And Anger ) :
अभिमानी व्यक्ति में एक बुराई होती है। वह क्रोधी स्वाभाव का होता है। किसी के द्वारा सिर्फ यह सुन लेने से ही की किसी ने उसकी निंदा की है , वह क्रोधित हो उठता है। और तुरंत उससे शत्रुता पर उतर आता है। मन शत्रुता उत्पन्न होते ही दुसरो को अहित करने की इच्छा जागृत हो जाती है।
अभिमानी व्यक्ति को अपने सामने दुसरो लोगो की प्रगति तनिक अच्छी नहीं लगती। वह नहीं चाहता की परीक्षा में उसका मित्र उससे अधिक अंक प्राप्त करे या किसी खेल में आगे बढे। अगर कोई मित्र उससे आगे बढ़ता है तो वह हमेशा ही उसे पछाड़ने की कोसिस में लगा रहता है।
यह बात गाँठ बांध लेनी चाहिए की अभिमानी का अभिमान स्थायी नहीं रहता है। अभिमान एक न एक दिन दुसरो के आगे अपमानित करके छोड़ता है।
मधुर व्यवहार और नम्र स्वाभाव वाला लड़का सब को प्रिय होता है। अगर आप भी किसी चीज के लिए अभिमान करते है तो अभिमान को त्याग दीजिये। नम्र बनिए। व्यवहार कुशल बनिए। क्योकि अभिमानी से कोई भी मित्रता रखना नहीं चाहता। अच्छी मित्रता विकास सहायक होती है। अभिमानी किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते है। उनके विकास की गति रुक जाती है।
आत्मविश्वास के लिए स्वाभिमानी बनना चाहिए , अभिमानी नहीं।
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