अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम ( The Consequences Of Indiscipline ) :
अनुशासन सफलता का मूलमंत्र है। जीवन के क्षेत्र में सफल वही हो पाता है जो अनुशासन में रहता है। आज युवा वर्ग के साथ भी सबसे बड़ी समस्या यही है। अनुशासनहीनता के कारण उसमे आत्मविश्वास नहीं आ पाता और वह दिन प्रतिदिन सफलता से दूर होता चला जाता है। आज सफलता के लिए आत्मविश्वास का होना अति आवश्यक है और आत्मविश्वास के प्राप्ति के लिए अनुशासन का योगदान महत्वपूर्ण है। आज युवा अनुशासनहीनता के कारण ही अपने मन पर काबू नहीं कर पाते है। इसलिए वे किसी भी कार्य के प्रति गंभीर नहीं हो पाते है। अनुशासनहीनता की बढ़ती प्रवृति के कारण आज युवा वर्ग पथभ्रष्ट होता जा रहा है।
सफलता का मूलमन्त्र ( Success Key ) :
अनुशासन हमेशा सफलता का मूलमंत्र रहा है। जो व्यक्ति अनुशासित नहीं होता अथवा जिसको अपने पर काबू नहीं रहता , वह जीवन की किसी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता। अनुशासन का अर्थ है समय का पाबन्द होना तथा अपने आप के प्रति पूरी तरह समर्पित होना एवं हमेशा काम को सही तरीके से करना।
आज के युवा वर्ग का सबसे बड़ी समस्या यही है की वह काम समय से पहले कर देगा या समय के बाद करेगा। दोनों ह स्थितियां गलत है। स्कुल , कालेज में हमेशा देर से पहुंचना , या फिर क्लास अटेंड ना करना , शोर मचाना अब छात्र - छात्रओं की आदत सी बनती जा रही है। शिक्षकों का आदर करना व् अपने कार्यों के प्रति गंभीर ना होना , युवाओ के लिए आम बात हो गयी है।
.खासकर युवतियों में यह भावना युवकों की तुलना में ज्यादा देखने को मिलती है। टोके जाने पर वे अक्सर कोई ना कोई बहाना बनाकर बात को टाल देती है। खासकर क्लास छोड़कर ग्रुप में गप्पे लड़ाना डेटिंग करने को वे अपना जन्म सिध्द अधिकार समझने लगी है।
ऑफिस में काम के वक्त फ़ोन पर चिपके रहना , चाय की चुसकियाँ लेना अथवा अपनी सीट छोड़कर दूसरों के पास जाकर गप्पे लड़ाना आज आम बात हो गयी है। आज आम बात हो गयी है। ऐसा भी नहीं है की सभी ऐसी ही होती है। आज देश में ऐसी युवतियों की कमी नहीं है जो अनुशासन के बल पर निरंतर सफलता की बलन्दियां छू रही है।
क्या करें ( What To Do ) :
आखिर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है की अनुशासित होने के लिए क्या किया जाए। उल्लेखनीय है की मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। प्रकृति प्रदत्त अनेक गुणों से भरा हुआ होने के साथ साथ वह अपनी क्षमता से अधिक गुण अर्जित कर लेता है। परन्तु कभी कभी अर्जित सारे गुणों की तुलना में उस का एक अवगुण उस पर हावी हो जाता है।
परिणामस्वरूप उसके सारे कियेकिराये पर पानी फिर जाता है। इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आप सदा अपने गुणों का अधिक से अधिक विकास करें , परन्तु अवगुणो पर भी अंकुश रखे और अवगुणो पर अंकुश केवल अनुशासन द्वारा ही संभव है की क्योकि अनुशासन का ही दूसरा नाम साधना , तपस्या है। अनुशासन का पालन करना भले ही थोड़ा मुश्किल है , परन्तु मानव जीवन के लिए सफलता का मुख्य मार्ग यही है। कभी कभी ऐसा भी देखा जाता है की परिवार के बड़े छोटे सदस्यों से अनुशासन की आशा तो रखते है परन्तु खुद के अनुशासित नहीं कर पाते।
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