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आशा से विश्वास कैसे प्राप्त करें { How To Gain Confidence With Hope }

आशा से विश्वास  कैसे प्राप्त करें  { How To Gain Confidence With Hope }


आशा और निराशा , सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू है। धैर्य और लगन इसकी चाबियाँ है।आलपिन का तीखापन कागज को जोड़ता है। आपके पास भी बुद्धि का बल है। ज्ञान की गरिमा है। आप से आपके मातापिता भी यही अपेक्षा करने लगे है। अपनी असीम शक्ति को पहचानिये आपके पास एक कुल्हाड़ी की तरह बुद्धि का हथियार है इस हथियार से आप समाज की रुढयों और अंधविश्वास की जड़ो को काटना है। क्या आप अपने आप को इस बात का विश्वास नहीं दिला सकते की मुझ से परिवार और समाज जो भी अपेक्षाएं करते है। मै अपनी क्षमता  पूरा करूँगा। 


How To Gain Confidence With Hope आशा से विश्वास  कैसे प्राप्त करें


 आलोचना की परवाह ना करें ( Do'nt Care About Criticism. ) :


यह भी माना जा सकता है की आपके कार्यों की कोई भी प्रशंसा भी  ना करे। उन कार्यो की चौराहो पर आलोचना होती रहे। जिस प्रकार नदी गहरी घाटियों से होकर गुजरती है , किन्तु अवसर मिलते ही वह अपना चौड़ा पाट बनाने से नहीं चुकती है , ठीक उसी प्रकार आप भी अपना काम अबाध गति से करते रहिये आपको जरूर एक ऐसा अवसर मिलेगा जब आप अपने क्रियाकलापों को विस्तृत रूप दे सकेंगे। 


ठोस कदम उठाए ( Take Concrete Steps ) :


अपने द्वारा लिए गए फैसले पर विश्वास कीजिये। मुझे याद है " काका कालेलकर " ने लिखा है की  " सरस्वती का आराधक किसी का दास नहीं होता। " वह परमुखापेक्षी नहीं होता। फिर आप ने भी अध्ययन कर सरस्वती की आराधना कर ज्ञान अर्जित किया है। आप अपना लक्ष्य तय कीजिये , उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किसी कर्मठ महापुरुष को अपना आदर्श मानिये। आप के ठोस कदम अपने लक्ष्य तक पहुंचने में पीछे नहीं हटेंगे।



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वैसे सवाल बाधाओं का है याद रखिये क्या नदी के रास्ते में काँटेदार झाड़ियां पार नहीं करनी पड़ती ? क्या उसके किनारों पर लोग गन्दगी नहीं फैलाते ? इन सब के बावजूद नदी देश काल और परिस्थितियां के अनुसार अनेक स्थान पर मोड़ लेती है और चट्टानों से टकराती है। नदी जब एक झरना बन जाती है तो लोग उसे देखकर स्वयं भी सतत मुखरित होने का संकल्प लेते है। अपनी जीवनचर्या झरने की तरह बनाइये। आपके जीवन में उत्साह का झरना कुछ निराशावादी लोगो के संपर्क से रुकना नहीं चाहिए। 


असफ़लतों से घबराये नहीं ( Don't Be Afraid Of Failures ) :


यह भी हो सकता है की आपको प्रारम्भ में असफ़लताओं का मुँह ताकना पड़े। लेकिन याद रखिये उच्च लक्ष्य प्राप्त करने में पग पग पर असफ़लताओं का समाना करना  पड़ता है। आप भी अपने आप को तौलिये , अपना आत्मविश्वास जागृत कीजिये असफलताओं की खिड़कियों को तोड़कर सफलता के दरवाजे बना लीजिये। इन सब के लिए स्थिरता और आत्मशक्ति के कवच अवश्य आप की रक्षा करते रहेंगे। 

यह बात भी सही है की जिस प्रकार प्रत्येक इंजन की क्षमता का उपयोग उसकी अश्वशक्ति से नाप के ही करना पड़ता है। वैसे ही प्रत्येक किशोर की ज्ञान ऊर्जा में अंतर हो सकता है। आप अपनी ऊर्जा का स्वयं मूल्यांकन कीजिये। लेकिन अतिमहत्वाकांक्षी भी एक बिमारी है। इससे बचना चाहिए। आप जो भी काम करने की योजना बनाये उसकी बुनियादी बातो पर अनुभवी लोगो से सलाह ले सकते है। 

आपका पठनपाठन अच्छा होता आया है। आप प्राइमरी कक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करते रहे है इस बात का एहसास करने के साथ आप अगली पढाई में पीछे रह जाते है तो परेशान नहीं होना चाहिए। 

आप वर्तमान को लेकर चले। आप गणित बिषय में कमजोर  है तो प्रांरम्भिक गणित को फिर से दोहराइये आपका गणित ठीक हो जायेगा। प्रत्येक बिषय के लिए यही बात ध्यान में रखनी चाहिए। 

वर्तमान को महत्त्व दीजिये (Give Importance To The Present. ) :


आप जीवन में अपेक्षायें जरूर करें। मगर उनको पूरा करने के लिए आवश्यक सीढिया बनाना न भूलें। जैसे आप रेखागणित का पेपर  खूब मेहनत से करना चाहते है किन्तु आपकी पेन्सिल की नोक तीखी नहीं है। परकार अच्छा नहीं है। और आप रबर भी ले जाना भी भूल गए। फिर सोचिये और बताईये की क्या आप का रेखा गणित का पेपर अच्छा होगा ?

यदि आप ये सब ध्यान में रखते है तो परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की सीढियाँ बना रहे है। रेखा गणित की आकृतियां ध्यान में रखने के लिए परीक्षा से पूर्व सफेद कागज़ पर अभ्यास कर उन्हें दिवार पर परदा बांधकर आलपिन से टांग दीजिये।आपको ये आकृतियां सदैव ध्यान में रहेगी।  

अभ्यास कीजिये ( Keep Practicing ) :


मान लीजिये आप विद्यालय में किसी  बिषय पर वाद विवाद अथवा भाषण प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते है। आप पुस्तकालय से सम्बंधित बिषय पुस्तके उपलब्ध करे , उनका अध्ययन करे। फिर आईने के सामने खड़े होकर घर पर २-३ बार उस भाषण को दोहराये बस आपका भाषण अच्छी तैयार हो जायेगा। अगर आप इस कला में अधिक पांरगत होने की इच्छा रखते है तो शहर में चलने वाली गोष्ठियों के आयोजकों से संपर्क करते रहे और उनमे भी भाग लेते रहे। निरंतर अभ्यास से ही इस कला में निपुणता हासिल की जा सकती है। 

स्वयं के प्रयास ( Own Efforts ) :


आप स्वयं के प्रयास से बहुत कुछ कर सकते है। किन्तु भूलकर भी अपनी तुलना किसी अन्य खिलाड़ी या कलाकार से नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से आप निराशा के अंधकार में डूब सकते है। 

आशा और निराशा , सफलता और असफलता एक ही सिक्के के पहलू है। आप धैर्य और लगन की चाबी से निराशा को आशा में और असफलता को सफलता में बदल सकते है। इस कार्य में अपने माता पिता  मित्रो सम्बन्धियों एवं शिक्षकों से समय समय पर वैचारिक मदद ले सकते है। यदि आप यह सब करते है तो आप की बुद्धि रुपी आलपिन की नोक से परिवार और समाज के अनेक लोग जुड़कर आपकी प्रतिभा में चार चाँद लगाने में अपना गौरव महसूस करेंगे। 




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