आत्मसम्मान की भावना से न सिर्फ आप की हीनभावना दूर होगी बल्कि आप की सोच भी सकारात्मक होगी।
आप भी अपने आप से सवाल कीजिये की आखिर आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है। जवाब में से १०० लोगो में से ९० लोग पाएंगे की खुद को कम कर के आंकना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। सफल और असफल लोगो की तुलना करे तो पता चलेगा की असफल लोग न सिर्फ दूसरों को आंकने में , बल्कि खुद को भी आंकने में भी बेइंतहा कंजूसी बरतते है।
असफल लोगो में अपनी कीमत महसूस करने का आत्मसम्मान नहीं होता जब की सफल लोग अपनी कीमत समझते है। वे अपने प्रति आत्मसम्मान का भाव रखते है। उनकी विशेषता उनकी सोंच में गहराई ऊंचाई पैदा करती है। अगर कोई अपने प्रति सजग है , तो वह दुनिया प्रति भी एक सकारात्मक नजरिया रखता है। विवेकानंद कहते है " पहले अपने मित्र बनो , तभी किसी और के मित्र बन सकते हो " पहले अपने प्रति हार्दिक होकर सोंचो तभी किसी और के प्रति हार्दिक होकर सोंच सकते हो। " शायद इसलिए जैन तीर्थकार महावीर ने नारा दिया था , जिओ और जीने दो।
गांधी जी कहते थे , " सादा जीवन जियो , मगर विचार ऊँचे रखो। "
सादा जीवन का मतलब यह नहीं था की भूखे रहो , सादा जीवन का यह भी मतलब नहीं था की नंगे रहो। सादा जीवन का उनका मतलब था की ढोंग में न पड़ो , दिखावा ना करो। तंग हाली में जीना कोई सादा जीवन नहीं होता।
सफलता को सकारात्मक सोच की मंजिल कहा जाता है। इसलिए अगर जीवन में सफलता चाहिए तो सकारात्मक सोंच रखिये।
याद रखिये ( Remember ) :
🌼 कभी भी यह न कहिये की ५ साल तो बहुत लम्बा समय होता है और मैं तरक्की के लिए इतना इंतज़ार नहीं कर सकता। हमेशा सोंचिये की मुझे तो ३० साल तक ऊँचे ओहदे पर रहना है , इतने लम्बे ओहदे के लिए ५ साल क्या होते है।
🌼 कभी यह न कहे की अब कुछ नहीं हो सकता , बल्कि कहिये की कोशिस करनी चाहिए।
🌼 कभी यह न कहे की मैं यह प्रोडक्ट नहीं बेंच सकता। अगर आप किसी प्रोडक्ट नहीं बेंच पाए तो भी कहिये की मुझे जल्दी ही वह फार्मूला मिल जायेगा जिससे मैं यह प्रोडक्ट बेचने में कामयाब हो जाऊँगा।
🌼 प्रतियोगिता तो तगड़ी है , इससे कोई इंकार नहीं कर सकता लेकिन कोई एक ही सारा फायदा ले जाए , ऐसा नहीं हो सकता , हमारी मेहनत भी जरूर रंग लाएगी।
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