संघर्ष के बिना सफलता नहीं मिलती। जीवन को संघर्ष रूपी पसीने से सींचना पड़ता है। इस बात में कोई संदेह नहीं की यदि जीवन में नारियल के पेड़ की तरह सीधासपाट हो तो जीने का मजा ही कौड़ी का हो जाये। महापुरुषों के संघर्ष ( Struggle Of Great Men ) : महानता के शिखर पर पहुंचने वाला नेपोलियन आल्प्स पर्वत पर बिना संघर्ष कर नहीं पंहुचा था। राष्ट्रपति के पद पर आसीन होने से पहले अब्रहाम लिंकन को भी कठोर संघर्ष कर अनेक विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ा था। महात्मा गांधी के जीवन में संघर्षो की कहानी निकाल दे तो वह एक सामान्य व्यक्ति के रूप में ही नजर आएंगे। इन सब महापुरुषों ने परिस्थतियों के साथ समझौता नहीं किया , बल्कि संघर्ष किया था। जीवन के दौड़ में संघर्ष करना सभी के बस की बात नहीं है। पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी ने गौरांग प्रभुओं की नौकरी छोड़ कर साहित्य सृजन में जीवन समर्पित कर दिया था। अंग्रेज सरकार ऐसे कर्मठ व्यक्तित्व से बार बार पुनः नौकरी करने के लिए अनुरोध कर रही थी। लेकिन उन्होंने पुनः नौकरी नहीं की। बल्कि वो आजीवन साहित्य सृजन करते रहे। प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व मे...
भाग्यवाद में भरोशा रखने वाले को सफलता नहीं मिलती। सफलता अपने भविष्य को स्वयं बनाने से मिलती है। दरवाजा सुन्दर बने , उस की चौखट मजबूत बने। लेकिन यह सुंदरता और मजबूती केवल अच्छे किस्म की लकड़ी पर ही निर्भर करती है। चौखट की सुंदरता और मजबूती कारीगर की निपुणता पर भी टिकि हुयी है। कारीगर पहले लकड़ी को सीधी सीधी काटता है। फिर ठीक से नाप जोख करता है। वह लकड़ी के किसी हिस्से को दूसरी लकड़ी से जोड़ने मे भी बड़ी सावधानी रखता है। वह बार बार लकड़ी के सुराख़ के हिसाब से लकड़ी को छील कर उसमे जोड़ता है। किशोरावस्था के क्रियाकलाप ही व्यक्ति के सुन्दर व्यक्तित्व की चौखट निर्माण करते है। आप अपने भविष्य की चौखट के स्वयं निर्माता बन सकते है। संभव है की आपके माता पिता भाग्यवादी हो और आपको भी भाग्य के भरोसे छोड़ कर राहत महसूस करते हो। ऐसा ना हो की आप स्वयं भी भाग्यवाद में विश्वास करना शुरू कर दे। क्योकि भाग्य कोई चीज नहीं होती , यह कर्म के भोगने वालो की कोरी कल्पना है। इस संसार में हमें अब तक जो कुछ भी मिला है और आगे जो कुछ भी मिलेगा वह सब हमारे कर्मो पर निर्भ...